Tuesday, April 7, 2009

आज फिर

होंठ से होंठ मिले थे तो ये महसूस हुआ
कयामत को क्यूं लोगों ने इतना बदनाम किया ।

ऐक उस पेड के नीचे जो गाढ़ी थी कुछ यादें
अबके आँधी ने उस पेड को तमाम किया ।

आज फिर हाथों की उस छुअन को महसूस किया
आज फिर दबी आवाज़ में वो नाम लिया ।

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