हरकोई कभी ना कभी किसी को खोता है
सच पूछो तो हर किसी को दर्द होता है
तनहाई में हर कोई कभी ना कभी रोता है
गम में हर कोई ना खाता ना सोता है
सच पूछो तो हर किसी को दर्द होता है
दिल बहुत नादान है और दिमाग उसके सामने बहुद छोटा है
चोट खाऐ का दामन अश्कों का मोहताज़ होता है
आसुओं का काफिला ही गहरे चोट के दागों को धोता है
सच पूछो तो हर किसी को दर्द होता है
आदमियत का यही सिला है, हर इंसान कमज़ोर होता है
ईश्वर की शफकत हो, गम में इसी दुआ का इत्तिका होता है
कभी गम जीतना तो कभी खुशी हारना, यही जीवन का जुआ होता है
सच पूछो तो हर किसी को दर्द होता है
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