होंठ से होंठ मिले थे तो ये महसूस हुआ
कयामत को क्यूं लोगों ने इतना बदनाम किया ।
ऐक उस पेड के नीचे जो गाढ़ी थी कुछ यादें
अबके आँधी ने उस पेड को तमाम किया ।
आज फिर हाथों की उस छुअन को महसूस किया
आज फिर दबी आवाज़ में वो नाम लिया ।
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